इन स्तुतियों में भगवान गणेश की महिमा, उनके गुणों और शक्ति का वर्णन किया गया है। इनका नियमित पाठ समस्त विघ्नों को दूर कर जीवन को शुभ और मंगलमय बनाता है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गजाननं भूतगणादिसेवितं ।
कपित्थ जम्बू फलचारु भक्षणम्।।
उमासुतं शोक विनाशकारकं
नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥
अगजानन पद्मार्कं गजानन महर्निशम्।
अनेकदंतं भक्तानां एकदन्तमुपास्महे॥
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥
सम्पूर्ण अर्थ
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
हे वक्रतुण्ड (टेढ़े सूंड वाले), महाकाय (विशाल शरीर वाले), सूर्य के करोड़ों समान तेजस्वी प्रभा वाले देव! आप सदा मेरे सभी कार्य निर्विघ्न रूप से पूर्ण करें।
अर्थ: “वक्रतुण्ड” का अर्थ है टेढ़ी सूंड वाले, “महाकाय” का अर्थ है विशाल शरीर वाले। “सूर्यकोटि समप्रभ” का अर्थ है करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी। इस श्लोक में भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करते हुए उनसे प्रार्थना की गई है कि “निर्विघ्नं कुरु मे देव” अर्थात हे देव, मेरे सभी कार्यों को बाधारहित बनाएं। “सर्वकार्येषु सर्वदा” का अर्थ है सभी कार्यों में हमेशा के लिए। यह श्लोक भगवान गणेश की अद्भुत शक्ति और कृपा को व्यक्त करता है, जो हर बाधा को दूर कर भक्तों के कार्यों को सफल बनाते हैं।
गजाननं भूतगणादिसेवितं ।
कपित्थ जम्बू फलचारु भक्षणम्।।
हम गजानन (गणेश जी) का ध्यान करते हैं, जिन्हें भूत-गण और अन्य दिव्य शक्तियां सेवित करती हैं, और जो सुंदरता से कपित्थ (कैर) और जंबू (जामुन) फलों का भक्षण करते हैं।
अर्थ: “गजाननं” का अर्थ है गज (हाथी) के समान मुख वाले, “भूतगणादिसेवितं” का अर्थ है जिन्हें भूतगण और अन्य दिव्य प्राणी सेवा करते हैं। “कपित्थ जम्बू फलचारु भक्षणम्” का अर्थ है जो कपित्थ (वुड एप्पल) और जम्बू (जामुन) जैसे फलों का आनंदपूर्वक भक्षण (फलचारु भक्षणम्) करते हैं। इस श्लोक में भगवान गणेश का मधुर और सरल स्वरूप वर्णित है, जो भक्तों के प्रिय हैं और सभी जीव-जंतुओं और देवताओं द्वारा पूजनीय हैं। यह उनकी कृपा, सादगी और दिव्य स्वरूप की सराहना करता है।
उमासुतं शोक विनाशकारकं ।
नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥
मैं उमा के पुत्र, दुखों को नष्ट करने वाले, विघ्नों के स्वामी गणेश जी के कमल जैसे चरणों में प्रणाम करता हूँ।”
अर्थ: इस श्लोक में भगवान गणेश की वंदना की गई है, जो माता पार्वती (उमा) के पुत्र (उमासुतं) और सभी दुखों व शोक का नाश करने वाले हैं (शोक विनाशकारकं)। यहाँ गणेशजी को “विघ्नेश्वर” कहा गया है, अर्थात् विघ्नों के स्वामी, जो हर प्रकार की बाधाओं को दूर करने की शक्ति रखते हैं। उनके चरण-कमलों (पादपङ्कजम्) की विनम्रता से प्रार्थना की गई है, जो भक्तों के लिए शरण और आशीर्वाद का स्रोत हैं। यह श्लोक उनके प्रति श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करता है, जो जीवन की समस्याओं को हरने और मार्ग को सुगम बनाने में सहायक हैं।
अगजानन पद्मार्कं गजानन महर्निशम्।
अनेकदंतं भक्तानां एकदन्तमुपास्महे॥
हम उस भगवान गणेश की उपासना करते हैं, जो पार्वती नंदन हैं, जिनका मुख कमल के समान है, जो गजमुख (हाथी का मुख) वाले हैं, दिन-रात भक्तों का कल्याण करते हैं, अनेक दांतों वाले हैं, और जिनके एक दंत की विशेष महिमा है।
अर्थ: हम उन भगवान गणेश की पूजा करते हैं, जिनका मुँह हाथी के समान (अगजानन ) है, जिनकी भृकुटि पर कमल के आकार का चिह्न (पद्मार्कं) है और जो हमेशा दिन-रात हमारे बीच मौजूद (महर्निशम्) रहते हैं । वे अनेक दांतों वाले (अनेकदंतं) हैं, लेकिन एक दांत वाले (एकदन्तं) के रूप में भी प्रसिद्ध हैं, जो उनके दिव्य रूप की अनूठी और शाश्वतता का प्रतीक है। वे सभी भक्तों के लिए पूजनीय हैं।
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥
“हम उस शुभ्र वस्त्रधारी, चंद्रमा के समान उज्ज्वल वर्ण वाले, चार भुजाओं वाले, प्रसन्न मुखमंडल वाले भगवान गणेश का ध्यान करते हैं, जो हमारे सभी विघ्नों का नाश करते हैं।“
अर्थ: इस श्लोक में भगवान गणेश का वर्णन किया गया है, जो श्वेत वस्त्र धारण करते हैं (शुक्लाम्बरधरं), और सर्वव्यापी या व्यापक (विष्णुं🙂 यहाँ भगवान गणेश को सर्वव्यापी गुणों से युक्त बताया गया है। जिनका रंग चंद्रमा के समान उज्ज्वल एवं शांत है (शशिवर्णं )। उनकी चार भुजाएँ (चतुर्भुजम्) उनकी अलौकिक शक्ति और व्यापकता का प्रतीक हैं। उनका मुख सदैव प्रसन्न और आनंद (प्रसन्नवदनं) से भरा रहता है, जो भक्तों को शांति प्रदान करता है। यह श्लोक साधक को प्रेरित करता है कि वह भगवान गणेश का ध्यान करे (ध्यायेत्), क्योंकि उनके ध्यान से जीवन की सभी विघ्न-बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं और शांति प्राप्त होती है (सर्वविघ्नोपशान्तये)।
इस श्लोक में भगवान गणेश की पूजा का निर्देश है, जो शुभ और समृद्धि के प्रतीक हैं। उनकी आराधना से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और परम शांति की प्राप्ति होती है।